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Government Composition and Functions
सरकार का गठन और कार्य
भारत में संविधान के अनुसार सरकार का गठन और संचालन संविधानिक व्यवस्था द्वारा निर्धारित किया जाता है। सरकार के तीन मुख्य अंग हैं: कार्यपालिका (Executive), विधायिका (Legislature) और न्यायपालिका (Judiciary)। इन तीनों अंगों का उद्देश्य लोकतंत्र की रक्षा करना और नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा करना है।
1. संविधानिक व्यवस्था और कार्य
(i) संसद:
भारत में संसद देश का कानून बनाने वाला सर्वोच्च अंग है। यह दो सदनों में विभाजित होती है:
- लोकसभा (House of the People): यह निचला सदन होता है, जिसमें सदस्य सीधे चुनाव के द्वारा चुने जाते हैं। लोकसभा के सदस्य पाँच साल के लिए चुने जाते हैं और इसमें कुल 545 सदस्य होते हैं।
- राज्यसभा (Council of States): यह ऊपरी सदन होता है, जिसमें राज्यसभा के सदस्य प्रतिनिधि चुनाव के द्वारा चुनते हैं। इसमें 250 सदस्य होते हैं, जिनमें से कुछ को राष्ट्रपति नामांकित करते हैं।
संसद का मुख्य कार्य कानून बनाना, सरकारी नीति की समीक्षा करना और सरकार के कार्यों पर निगरानी रखना है। यह सरकार के वित्तीय मामलों को भी नियंत्रित करती है, जैसे बजट पास करना और संविधान में संशोधन करना।
(ii) राष्ट्रपति:
भारत में राष्ट्रपति राज्य का प्रमुख होता है। वह कार्यपालिका के प्रमुख होते हुए भी ज्यादातर कार्य प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह पर करते हैं। राष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज द्वारा किया जाता है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य और विधानसभाओं के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। राष्ट्रपति का मुख्य कार्य कानूनों की स्वीकृति देना, राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करना और मंत्रीमंडल की नियुक्ति करना है।
(iii) प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद:
प्रधानमंत्री भारत सरकार का मुख्य कार्यकारी अधिकारी होता है और संसद में बहुमत के आधार पर चुना जाता है। प्रधानमंत्री का कार्य सरकार की नीतियों को निर्धारित करना और मंत्रिमंडल के साथ मिलकर निर्णय लेना है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद का गठन होता है, जिसमें केंद्रीय मंत्री, राज्य मंत्री और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) होते हैं। मंत्रिपरिषद विभागों के कार्यों को देखती है और केंद्र सरकार के कार्यों की निगरानी करती है।
2. राज्य सरकार
भारत में हर राज्य की अपनी राज्य सरकार होती है जो राज्य की व्यवस्थाओं का संचालन करती है। यह सरकार संविधानिक रूप से केंद्र सरकार से स्वतंत्र होती है, लेकिन दोनों के बीच समन्वय आवश्यक होता है। राज्य सरकार के तीन प्रमुख अंग होते हैं:
- राज्य विधानसभा (Legislature)
- राज्यपाल (Governor) – कार्यपालिका का प्रमुख
- राज्य मंत्रिपरिषद (Executive)
(i) राज्यपाल:
राज्यपाल राज्य का संविधानिक प्रमुख होता है, जिसे राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। राज्यपाल का कार्य राज्य सरकार की गतिविधियों की निगरानी करना और केंद्र सरकार के आदेशों का पालन सुनिश्चित करना है। राज्यपाल के अधिकारों में राज्य मंत्रिपरिषद की नियुक्ति, कानूनों की स्वीकृति और राज्यपाल के निर्णयों का प्रमाणीकरण शामिल है।
(ii) मुख्यमंत्री और राज्य मंत्रिपरिषद:
मुख्यमंत्री राज्य सरकार का मुख्य कार्यकारी होता है। वह राज्य में सरकारी नीतियों को लागू करता है और राज्य के विकास कार्यों का संचालन करता है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिपरिषद का गठन होता है, जो राज्य के विभिन्न विभागों को देखती है और राज्य के विकास के लिए योजनाएँ बनाती है। राज्य मंत्रिपरिषद के सदस्य विभिन्न विभागों की जिम्मेदारी निभाते हैं, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, वित्त आदि।
3. पंचायती राज और नगरीय स्व-शासन (राजस्थान के विशेष संदर्भ में)
(i) पंचायती राज:
भारत में पंचायती राज का उद्देश्य स्थानीय प्रशासन को सशक्त करना और ग्रामीण क्षेत्रों में लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूत करना है। पंचायती राज प्रणाली के तहत ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला पंचायत का गठन किया जाता है। भारत में यह प्रणाली संविधान के 73वें संशोधन के बाद लागू हुई थी, जिसने महिला आरक्षण, समाज के कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण और लोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया को सुनिश्चित किया।
राजस्थान में पंचायती राज प्रणाली के तहत ग्रामीण विकास और स्थानीय संसाधनों के प्रबंधन के लिए योजनाएं बनाई जाती हैं। यह प्रणाली लोकतांत्रिक दृष्टिकोण से ग्रामीण क्षेत्रों में समानता और सशक्तिकरण को बढ़ावा देती है।
(ii) नगरीय स्व-शासन:
राजस्थान में नगरीय स्व-शासन का उद्देश्य शहरी विकास को बढ़ावा देना और नगरपालिका के द्वारा स्वायत्तता को बढ़ाना है। राज्य में नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत के माध्यम से शहरी क्षेत्रों के विकास कार्य और सामाजिक कल्याण योजनाएं संचालित की जाती हैं। राजस्थान में इन निकायों को स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता दी जाती है ताकि शहरी सुधार, बुनियादी ढांचे का विकास, और स्वच्छता जैसी प्राथमिकताएँ प्रभावी रूप से लागू हो सकें।
4. जिला प्रशासन
जिला प्रशासन स्थानीय प्रशासन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे केंद्र और राज्य सरकार दोनों के आदेशों के अनुसार कार्य करना होता है। जिला कलेक्टर (या जिला मजिस्ट्रेट) जिलें का मुख्य प्रशासनिक अधिकारी होता है। उसका कार्य कानून और व्यवस्था बनाए रखना, विकास योजनाओं को लागू करना, और सरकारी योजनाओं को क्षेत्रीय स्तर पर लागू करना है।
जिला कलेक्टर जिला प्रशासन का संचालन करते हैं और सामाजिक कल्याण, शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि जैसे क्षेत्रों में राज्य की योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए काम करते हैं।
5. न्यायपालिका
न्यायपालिका का कार्य कानून के पालन को सुनिश्चित करना और न्याय प्रदान करना है। भारतीय न्यायपालिका स्वतंत्र और न्यायिक व्यवस्था के तहत काम करती है। यह नागरिकों के मूल अधिकारों की रक्षा करती है और सरकार की नीतियों और कानूनों का समीक्षा करती है।
(i) संविधान और न्यायपालिका:
भारतीय संविधान ने न्यायपालिका के लिए तीन स्तरीय संरचना का प्रावधान किया है:
- उच्चतम न्यायालय (Supreme Court): यह सर्वोच्च न्यायालय है और संविधान का अंतिम व्याख्याता होता है। यह संविधानिक मुद्दों पर अंतिम निर्णय देता है और मूल अधिकारों की रक्षा करता है।
- राज्य न्यायालय (High Courts): यह राज्यों में उच्च न्यायिक अधिकारों को सुनिश्चित करता है और राज्य स्तर पर न्यायिक समीक्षा करता है।
- निचली अदालतें (Lower Courts): यह जिले और तालुका स्तर पर सामान्य न्याय प्रदान करती हैं।
उच्चतम न्यायालय के अलावा, राज्य उच्च न्यायालय और निचली अदालतें स्थानीय स्तर पर न्याय प्रदान करती हैं और समानता और न्याय सुनिश्चित करती हैं।
भारत में संविधान के अनुसार सरकार का गठन एक सुव्यवस्थित और संविधानिक प्रक्रिया द्वारा किया जाता है। केंद्र सरकार, राज्य सरकार, और स्थानीय प्रशासन के बीच सामंजस्य और समानता बनाए रखना जरूरी है। पंचायती राज, नगरीय स्व-शासन, जिला प्रशासन, और न्यायपालिका के माध्यम से लोकतंत्र की ताकत को हर स्तर पर महसूस किया जाता है।
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