Rajasthan GK

Climate of Rajasthan

Climate of Rajasthan : राजस्थान की जलवायु

जलवायु का अभिप्राय है – किसी क्षेत्र में मौसम की औसत दशाएँ। मौसम की औसत दशाओं का ज्ञान किसी क्षेत्र के तापमान, आर्दता, वर्षा, वायुदाव आदि का दीर्घकाल तक अध्ययन करने से होता है। किसी भी क्षेत्र विशेष की जलवायु उस क्षेत्र की अक्षांश स्थिति, समुद्र तट से दूरी तथा ऊँचाई, वायुवेग, पहाड़, आंधियों, तूफान आदि पर निर्भर करते है। राजस्थान के जलवायु को मोटे तौर पर मानसूनी कहा जाता है। यहां वर्षा मानसूनी हवाओं से होती है। तापमान की दृष्टि से इसके मरुस्थलीय क्षेत्रों में पर्याप्त विषमता पाई जाती है। भौगोलिक दृष्टि से यहां तीन प्रमुख ॠतुएँ हैं-

  • ग्रीष्म ॠतु
  • वर्षा ॠतु
  • शीत ॠतु

Summer Season (ग्रीष्म ॠतु) –

राजस्थान में ग्रीष्म ॠतु मार्च से प्रारंभ होकर मध्य जून तक रहती है। मार्च में सूर्य के उत्तरायण आने पर तापमान में वृद्धि होने लगती है। तापमान वृद्धि के कारण वायुमंड़लीय दवाव निरंतर गर्म सतह पर गिरने लगता है। अप्रैल में हवाएँ पश्चिम से पूर्व की ओर चलती हैं। हवाएँ चूँकि गर्म थार मरुस्थल को पार करती हुई आती है, अत: शुष्क एवं गर्म होती है। अप्रैल और मई के महीनों में सूर्य लगभग लंबवत् चमकता है। जिस कारण दिन के तापमान में वृद्धि होती है।

राजस्थान के पश्चिमी भागों में मुख्य रुप से बीकानेर, जैसलमेर, फलौदी और बाड़मेर में अधिकतम दैनिक तापमान इन महीनों में ४० डिग्री से० से ४५ डिग्री से० तक चला जाता है। गंगानगर में उच्चतम तापमान ५० डिग्री से० तक पहुँच जाता है।

जोधपुर, बीकानेर, बाडमेर में तापमान ४९ डिग्री से०, जयपुर और कोटा में ४८ डिग्री तक पहुँच जाता है। दिन के समय उच्च तापक्रम मौसम को अति कष्टकर बना देतें हैं। संपूर्ण राजस्थान में दोपहर के समय लू (तेज गर्म हवाएँ) व रेत की आंधियाँ चलती है किन्तु पश्चिमी व उत्तर-पश्चिमी राजस्थान के मरुस्थली भागों में ये आंधियाँ भयंकर होती है।

Rainy Season (वर्षा ॠतु)

राजस्थान में वर्षा ॠतु जून से मध्य सितंबर तक रहती है। यहां वर्षा लगभग नही के बराबर होती है। यह एशिया के वर्षा रहित भागों के निकट ही है। इस भाग में बंगाल की खाड़ी से आने वाली दक्षिण-पश्चिमी मानसूनी हवाओं से औसत वर्षा १२ से १५ से०मी० तक हो जाती है। अरब सागर से उठने वाला मानसून मालवा के पठार तक ही वर्षा कर पाता है। इसके उत्तर में यह अरावली पर्वत के समान्तर उत्तर की ओर बढ़ जाती है।

अरावली के पूर्व में वर्षा का औसत ८० से०मी० तक पाया जाता है। जबकि पश्चिम भागों में यह औसत २५ से०मी० से भी कम होता है। दक्षिणी राजस्थान की स्थिति वर्षा करने वाली हवाओं के अनुकूल है जिसके कारण आबू पर्वत में राजस्थान की सर्वाधिक वर्षा १५० से०मी० तक अंकित की जाती है।

भारत-पाक सीमा के क्षेत्रों में वर्षा १० से०मी० तथा जैसलमेर में लगभग २१ से०मी० होती है। राजस्थान में अधिकांश वर्षा जुलाई और अगस्त महीनों में ही होती है।

Winter Season (शीत ॠतु)

राजस्थान में शीत ॠतु का समय अक्तूबर से फरवरी तक रहता है। शीत ॠतु तक धीरे-धीरे तापमान गिरने लगता है तथा संपूर्ण राजस्थान में अक्तूबर के महीने में एक सा तापमान रहता है। इन दिनों में अधिकतम तापमान ३० डिग्री से० से ३६ डिग्री से० तक तथा न्युनतम तापमान १७ डिग्री से० से २१ डिग्री से० तक रहता है। नवम्बर के महीने में अपेक्षाकृत अधिक सर्दी रहती है। दिसंबर और जनवरी में कठोर सर्दी पड़ती है। राजस्थान के उत्तरी जिलों में जनवरी का औसत तापमान १२ डिग्री से० से १६ डिग्री से० तक रहता है। आबू पर्वत पर ऊचाई के कारण यहां का तापमान इस समय औसत ८ डिग्री से० रहता है।

कश्मीर, हिमाचल प्रदेश आदि क्षेत्रों में हिमपात के कारण शीत लहर आने पर यहां सर्दी बहुत बढ़ जाती है। उत्तरी क्षेत्रों में लहर के कारण तापमान कभी-कभी पाला के साथ हिमांक बिंदु तक पहुँच जाता है।

मध्य एशिया उच्च भार के कारण कई बार पछुआ पवनों की एक शाखा पश्चिम दिशा से राजस्थान में प्रवेश करती है तथा इन चक्रवातों के कारण कई बार उत्तरी व पश्चिमी राजस्थान में आकाश की स्वच्छता मेघाच्छन्न स्थिति में परिवर्तित हो जाती है। इन चक्रवातों से राजस्थान में कभी-कभी वर्षा हो जाती है जिसे ‘महावट’ कहते हैं। इन चक्रवातों में ५ से १० से०मी० तक वर्षा होती है।

राज्य के गंगानगर, चुरु, बीकानेर, और सीकर जिलों में कड़ाके की सर्दी पड़ती है। इस ॠतु में सुबह के समय ओस पड़ना तथा प्रात: आठ बजे के बाद तक कोहरा रहना एक समान्य लक्षण है।

राजस्थान के जलवायु प्रदेश

तापमान और वर्षा की मात्रा के आधार पर राजस्थान को निम्न पाँच भागों में विभक्त किया गया है:-

  • शुष्क जलवायु प्रदेश
  • अर्द्ध-शुष्क जलवायु प्रदेश
  • उप-आर्द्र जलवायु प्रदेश
  • आर्द्र जलवायु प्रदेश
  • अति आर्द्र जलवायु प्रदेश।

Dry climate region (शुष्क जलवायु प्रदेश)-

इस प्रदेश में शुष्क उष्ण मरुस्थलीय जलवायु दशाएँ पाई जाती हैं। इसके अंतर्गत जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर का पश्चिमी भाग, गंगानगर का दक्षिणी भाग और जोधपुर की फलौदी तहसील का पश्चिमी भाग आता है। यहां तापमान ग्रीष्म ॠतु में ३४ डिग्री से० से अधिक तथा शीत ॠतु में १२ डिग्री से० से १६ डिग्री से० के मध्य रहता है। वर्षा का औसत १० से २० से०मी० है। इस क्षेत्र में वनस्पति का आभाव पाया जाता है। कुछ भागों में जल प्राप्ति से विशेष प्रकार की घास ऊग जाती है।

Semi-arid climate zone (अर्द्ध-शुष्क जलवायु प्रदेश)

इस प्रदेश के अंतर्गत गंगानगर, बीकानेर, बाड़मेर जिलों के पश्चिमी भागों के अतिरिक्त सभी भाग चुरु, सीकर, झुंझुनू, नागौर, पाली व जालौर के पश्चिमी भाग सम्मिलित हैं। इस प्रदेश का औसत तापमान ग्रीष्म ॠतु में ३२ डिग्री से० से ३६ डिग्री से० तथा शीत ॠतु में १० डिग्री से० से १७ डिग्री से० तक पाया जाता है। वर्षा का औसत २० से०मी० से ४० से०मी० तक रहता है। इस क्षेत्र में बबूल के वृक्ष तथा कंटीली झाड़ियां पाई जाती हैं।

Sub Humid Climate Zone (उप-आर्द्र जलवायु प्रदेश)

इस प्रदेश के अंतर्गत अलवर, जयपुर, अजमेर जिले, झुंझुनू, सीकर, पाली व जालौर जिलों के पूर्वी भाग तथा टौंक, भीलवाड़ा व सिरोही के उत्तरी-पश्चिम भाग आते है। इस प्रदेश का औसत तापमान ग्रीष्म ॠतु में २८ डिग्री से० से ३४ डिग्री से० तथा शीत ॠतु में १२ डिग्री से० उत्तरी क्षेत्रों में तथा १८ डिग्री से० दक्षिणी भागों में रहता है। इस क्षेत्र में अल्पमात्रा में प्राकृतिक वनस्पति पाई जाती है।

Humid Climate Zone (आर्द्र जलवायु प्रदेश)

इसके अंतर्गत भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर, बूंदी, कोटा, दक्षिणी-पूर्वी टौंक

तथा उत्तरी चित्तौड़गढ़ के जिले सम्मिसित हैं। इस प्रदेश में औसत तापमान ग्रीष्म ॠतु में ३२ डिग्री से० से ३४ डिग्री से० तथा शीत ॠतु में १४ डिग्री से० से १७ डिग्री से० तक रहता है। यहां वर्षा का औसत ६० से०मी० से ८० से०मी० के मध्य रहता है। यहां नीम, शीशम, पीपल, जामुन आदि वृक्ष पाए जाते है।

Very Humid Climate Zone (अति आर्द्र जलवायु प्रदेश)

इसके अंतर्गत दक्षिण-पूर्वी कोटा, झालावाड़, बांसवाड़ा जिले, उदयपुर जिले का दक्षिण-पश्चिमी भाग तथा माउण्ट आबू के समीपवर्ती भू-भाग सम्मिलित हैं। इस प्रदेश का औसत तापमान ग्रीष्म ॠतु में ३४ डिग्री से० से ३६ डिग्री से० तथा शीत ॠतु में १४ डिग्री से० से १७ डिग्री से० के मध्य रहता है। यहां वर्षा का औसत ८० से०मी० से १५० से०मी० पाया जाता है। माउंट आबू में राज्य की सर्वाधिक वर्षा अंकित की जाती है। प्राकृतिक वनस्पति की दृष्टि से यह राज्य का सर्वाधिक संपन्न क्षेत्र है।

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