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Indian Constitution and Democracy

भारतीय संविधान और लोकतंत्र

भारत का संविधान एक संविधानिक दस्तावेज है जो भारतीय गणराज्य के मूल सिद्धांतों, ढांचे और कार्यविधियों का निर्धारण करता है। यह लोकतंत्र के स्थापना की नींव और भारतीय नागरिकों के मूल अधिकारों की सुरक्षा की गारंटी प्रदान करता है। भारतीय संविधान का निर्माण संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को किया गया था और यह 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ था। इसका उद्देश्य भारत के विविधताओं से भरे समाज को एकता में पिरोने और लोकतांत्रिक शासन की स्थापना करना था।

1. भारतीय संविधान का निर्माण और विशेषताएँ

(i) निर्माण:

  • भारतीय संविधान का निर्माण संविधान सभा द्वारा किया गया, जो 9 दिसम्बर 1946 को गठित हुई थी। इसका नेतृत्व डॉ. भीमराव अंबेडकर ने किया, जिन्हें संविधान का प्रमुख निर्माता माना जाता है।
  • संविधान सभा में कुल 299 सदस्य थे, जिनमें नेहरू, गांधी, पटेल, राजेंद्र प्रसाद आदि प्रमुख नेता शामिल थे।

(ii) विशेषताएँ:

  • भारतीय संविधान लिखित और विस्तृत है।
  • यह दुनिया का सबसे लंबा संविधान है।
  • संविधान में संविधान संशोधन के लिए स्पष्ट प्रावधान हैं, जिससे यह बदलते समय के अनुसार अनुकूल हो सके।

2. उद्देशिका (Preamble)

उद्देशिका भारतीय संविधान का उद्घाटन भाग है और यह संविधान के मुख्य उद्देश्यों और मूल्यों को स्पष्ट करता है। इसे संविधान के उद्देश्य, आदर्श, और दार्शनिक आधार के रूप में देखा जा सकता है। इसका उद्देश्य यह बताना है कि भारत का संविधान किस विचारधारा पर आधारित है। उद्देशिका के मुख्य शब्द:

  • समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, गणराज्य: ये शब्द भारतीय समाज के समावेशिता और समानता के सिद्धांत को प्रदर्शित करते हैं।
  • न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व: यह सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिकों को समान अधिकार और अवसर मिलें।

3. मूल अधिकार और मूल कर्तव्य

(i) मूल अधिकार (Fundamental Rights):

भारतीय संविधान ने नागरिकों को आठ मूल अधिकार प्रदान किए हैं, जो संविधान के भाग III में उल्लिखित हैं:

  • समानता का अधिकार (Article 14-18)
  • स्वतंत्रता का अधिकार (Article 19-22)
  • शारीरिक और मानसिक शोषण से बचाव (Article 23-24)
  • धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (Article 25-28)
  • सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार (Article 29-30)
  • संविधानिक उपायों का अधिकार (Article 32)
  • संविधान में किसी प्रकार का भेदभाव से बचाव (Article 17)
  • श्रमिक अधिकार (Article 39, 42, 43)

(ii) मूल कर्तव्य (Fundamental Duties):

मूल कर्तव्यों को संविधान के भाग IVA में जोड़ा गया था (42वें संशोधन के तहत)।

  • ये कर्तव्य भारतीय नागरिकों को संविधान के प्रति सम्मान, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करने, और राष्ट्रहित में योगदान देने की जिम्मेदारी सौंपते हैं।
  • इन कर्तव्यों का पालन करना समाज में एकजुटता और व्यवस्था बनाए रखने में मदद करता है।

4. कानून और सामाजिक न्याय

  • सामाजिक न्याय के अंतर्गत संविधान ने मूल अधिकारों को सुनिश्चित किया, जिसमें समानता का अधिकार और धार्मिक, सांस्कृतिक, और भाषाई अधिकार शामिल हैं।
  • न्यायपालिका का कार्य इस बात की पुष्टि करना है कि सरकार और संविधान के तहत सभी नागरिकों को समान और निष्पक्ष न्याय मिले।
  • भारत में न्यायपालिका का स्वतंत्र होना लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि सत्ता के किसी भी रूप के अत्याचार से बचाव किया जा सके।

5. लिंग बोध (Gender Perception)

  • भारत में लिंग समानता के मुद्दे को संविधान में भी उचित स्थान दिया गया है। धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक प्रथाएँ लिंग के आधार पर भेदभाव कर सकती हैं, लेकिन संविधान ने इनसे निपटने के लिए न्याय और समानता का रास्ता अपनाया है।
  • महिलाओं के अधिकार को सुरक्षित करने के लिए, भारत सरकार ने कई कदम उठाए हैं जैसे महिला आरक्षण, विधिक सहायता, और महिला सुरक्षा कानून
  • लिंग भेदभाव को खत्म करने के लिए विभिन्न सामाजिक सुधार आंदोलन और महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम चलाए गए हैं।

6. बाल अधिकार और बाल संरक्षण

  • भारतीय संविधान और विभिन्न कानूनों द्वारा बालकों के अधिकारों को विशेष रूप से संरक्षित किया गया है।
  • बाल श्रम और बाल विवाह के खिलाफ कड़े कानून बनाए गए हैं ताकि बच्चों को उनके स्वाभाविक अधिकार और सुरक्षा मिले।
  • बाल अधिकार के तहत बच्चों को शिक्षा का अधिकार, स्वास्थ्य सेवाएँ, और शारीरिक शोषण से सुरक्षा प्रदान की जाती है।
  • बाल संरक्षण अधिनियम 2000, और न्यू बाल अधिकार विधेयक इन पहलुओं पर कानूनों को सुदृढ़ करते हैं।

7. लोकतंत्र में निर्वाचन और मतदाता जागरूकता

(i) निर्वाचन प्रणाली:

  • भारत में लोकतंत्र की संरचना प्रतिनिधि प्रणाली पर आधारित है, जिसमें लोग वोट के माध्यम से अपने प्रतिनिधियों को चुनते हैं।
  • भारतीय चुनावों की प्रणाली प्रत्यक्ष और समान प्रतिनिधित्व (Direct and Proportional Representation) पर आधारित है, जहां लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में सभी नागरिकों को मताधिकार प्राप्त है।

(ii) मतदाता जागरूकता:

  • मतदाता जागरूकता अभियान और स्वतंत्र चुनाव आयोग के माध्यम से नागरिकों को चुनाव प्रक्रिया, उनके अधिकार, और उनकी जिम्मेदारियों के बारे में जानकारी दी जाती है।
  • भारतीय चुनाव आयोग समय-समय पर वोटिंग प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए नए उपायों की शुरुआत करता है, जैसे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (EVM), पोस्टल बैलेट, और मतदाता सूची अपडेट

भारतीय संविधान और लोकतंत्र का उद्देश्य न्यायपूर्ण, समान और स्वतंत्र समाज की स्थापना करना है। भारतीय संविधान में मूल अधिकार, मूल कर्तव्य, और सामाजिक न्याय की धारा ने भारत को एक सशक्त और समावेशी लोकतंत्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। लिंग समानता, बाल अधिकार, और मतदाता जागरूकता जैसे पहलू इस लोकतंत्र के समाज के हर वर्ग को सशक्त बनाने की दिशा में आवश्यक कदम हैं।

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